चल मर्दाने •• हरिवंशराय बच्चन


चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,
मन मुसकाते, गाते गीत।
एक हमारा देश, हमारा
वेश, हमारी कौम, हमारी
मंज़िल, हम किससे भयभीत।

चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,
मन मुसकाते, गाते गीत।

हम भारत की अमर जवानी,
सागर की लहरें लासानी,
गंग-जमुन के निर्मल पानी,
हिमगिरि की ऊँची पेशानी,
सब के प्रेरक, रक्षक, मीत।

चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,
मन मुसकाते, गाते गीत।

जग के पथ पर जो न रुकेगा,
जो न झुकेगा, जो न मुड़ेगा,
उसका जीवन उसकी जीत।

चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,
मन मुसकाते, गाते गीत।

- हरिवंश राय बच्चन

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