हे हिममुकुट धारिणी मात भारती।
देवदुर्लभ जगतवंदित मात भारती।।
अखिल विश्व लहराए पताका आपकी।
जय हो सदा आपकी मात भारती।।
माँ आप शीतलता लिए हिमालय की।
अमृत जल-धारा गंगा यमुना की।।
चरण प्रक्षालन करता हिंद सागर है।
माँ ममता का आप अथाह सागर हैं।।
हे शस्य श्यामला जय हो मात भारती।
अखिल विश्व लहराए, पताका आपकी।।
नवनीत कुमार गुप्ता
२१ जनवरी २००८
देवदुर्लभ जगतवंदित मात भारती।।
अखिल विश्व लहराए पताका आपकी।
जय हो सदा आपकी मात भारती।।
माँ आप शीतलता लिए हिमालय की।
अमृत जल-धारा गंगा यमुना की।।
चरण प्रक्षालन करता हिंद सागर है।
माँ ममता का आप अथाह सागर हैं।।
हे शस्य श्यामला जय हो मात भारती।
अखिल विश्व लहराए, पताका आपकी।।
नवनीत कुमार गुप्ता
२१ जनवरी २००८