माटी चन्दन है •• संजीवन मयंक


प्रात: स्मरणीय शहीदों का वंदन है
जिनके त्याग तपोवन से माटी चंदन है

जिन्हें आत्म सम्मान रहा प्राणों से प्यारा
उन्हें याद करती अब भी गंगा की धारा
ले हाथों में शीश चले ऐसे मतवाले
आज़ादी के लिए हालाहल पीने वाले
आज़ादी के रखवालों को हृदय नमन है
जिनके त्याग तपोवन से माटी चंदन है

जिनकी दृढ़ता से उन्नत है आज हिमालय
अब उनके पद चिन्ह हमारे लिए शिवालय
आज तिरंगा जिनकी याद लिए फहराता
वक्त आज भी जिनकी गौरव गाथा गाता
धन्य नींव के पत्थर जिनपर बना भवन है
जिनके त्याग तपोवन से माटी चंदन है

महके बीस गुलाब गंध बाँटे खुशहाली
नव दुल्हन-सी खेतों में नाचें हरियाली
अनुशासन से देश नया जीवन पाता
कर्मशील ही आगे जा पूजा जाता है
आज धरा खुशहाल और उन्मुक्त गगन है
जिनके त्याग तपोवन से माटी चंदन है

- सजीवन मयंक

16 अगस्त 2006

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